दस्त कम या अधिक पोषण, वायरस या बैक्टीरिया के कारण हो सकते हैं। अनियमित पाचन से सम्बंधित दस्त बछड़ों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं । हालांकि समस्या को निम्न क्रियाओं के माध्यम से कम किया जा सकता है: बछड़ों को जन्म के 6 घंटों के भीतर पर्याप्त कोलोस्ट्रम (खीस या बोली) दें जिससे उन्हें कुछ प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्राप्त होती है । सही मात्रा में दूध पिलाना । प्रारंभिक मान्यता, अलगाव और बछड़ों का दस्त के लिए परीक्षण । भोजन के बर्तन और पर्यावरण की स्वच्छता और स्वच्छता का रखरखाव । … Continue Reading →
पोल्ट्री में मुनाफा बढाने के लिए इन 10 बातों का रखें ख़ास ध्यान
चूजों को दिन के ठंडे घंटों में (सुबह 6 बजे से पहले या शाम को 8 बजे के बाद) फार्म में लायें I चूजों को हमेशा स्वच्छ पानी और फीड दें I पानी के बर्तन रोज़ साफ़ करें तथा फीड दोपहर में न देकर सुबह, शाम और रात को दें I चूजों को उपरोक्त जगह दें (एक दिन के चूजे को 7 इंच तथा 1 महीने के पक्षी को 1 फुट जगह प्रदान करें) I फार्म का फर्श सूखा रखें I अधिक गीला होने पर बूरे का इस्तेमाल करें I अपने फार्म को चूहों, साँपों, तथा अन्य प्रकार के जीव जंतुओं से बचाएं, ये … Continue Reading →
देशी मुर्गों की नस्लें
असील असील का शाब्दिक अर्थ वास्तविक या शुद्ध है। असील अपनी दुस्साहसी, उच्च क्षमता, राजसी चाल के लिए जाना जाता है । ऐसा प्रतीत होता है कि लड़ाई के अपने निहित गुणों के कारण असील का नाम इस स्वदेशी नस्ल को दिया गया है । लड़ाई के सबसे महत्वपूर्ण चरणों के दौरान भी असील का उल्लेखनीय धीरज प्रचुर मात्रा में है क्योंकि यह अपमान से बढ़कर मौत को पसंद करता है। इसलिए असील इन विशिष्ट विशेषताओं के लिए दुनिया भर में हर गेम प्रेमी के लिए जाने जाते हैं। आंध्र प्रदेश को इस महत्वपूर्ण नस्ल का घर कहा जाता है। यह एक … Continue Reading →
पोल्ट्री की अत्यधिक घातक बीमारी रानीखेत: उपचार तथा नियंत्रण
प्रभावित मुर्गी आकाश की तरफ देखती है (मन्यास्तंभ अथवा torticollis) रानीखेत रोग, जिसे पश्चिम में न्यूकैसल रोग से भी जाना जाता है, संक्रामक और अत्यधिक घातक रोग है। इसके नियंत्रण के लिए किए गए उल्लेखनीय काम के बावजूद, यह रोग अभी भी पोल्ट्री के सबसे गंभीर वायरस रोगों में से एक है। लगभग सभी देशों में यह बीमारी होती है और आम तौर पर सभी उम्र के पक्षियों को प्रभावित करता है, परन्तु इस रोग का प्रकोप प्रथम से तीसरे सप्ताह ज्यादा देखने को मिलता है। रानीखेत रोग में मृत्यु दर 50 से 100 प्रतिशत होती है। रोग … Continue Reading →
A1 Vs A2 Milk: जानिये देशी नस्लों का दूध कैसे है बेहतर!!
विशेषता Characteristic A1 दूध A1 Milk A2 दूध A2 Milk उत्पादन Production विदेशी नस्लें Exotic breeds देशी नस्लें Indigenous breeds प्रोटीन का प्रकार Protein type A1 बीटा-कैसिन A1 Beta-casein A2 बीटा-कैसिन A2 Beta-casein एमिनो एसिड स्रावित Amino acid secreted हिस्टडीन Histidine प्रोलीन Proline प्रोटीन की गुणवत्ता Protein quality खराब प्रोटीन Bad protein उत्तम प्रोटीन Good … Continue Reading →
दुधारू पशुओं के बाहरी परजीवी तथा उनकी रोकथाम
गाय पर वास करती किलनियाँ पशुओं में पाये जाने वाल बाहृा परजीवी अर्थ - व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बाहृा परजीवी शरीर के बाहर बालों में व त्वचा पर निवास करते हैं तथा बाहर से जानवरों को क्षति पहुँचाते हैं। बाहरी परजीवी पशुओं के शरीर पर या तो स्थाई रूप से लगे रहते हैं या समय समय पर पोषण प्राप्त करने हेतु शरीर पर लगते हैं। बाहरी परजीवीयों के नियंत्रण से पशु का वजन बढ़ता है, पशु उत्पादनों में वृद्धि होती है तथा पशु अधिक आकर्षक दिखते हैं। बाहरी पर्जीवों के उदाहरण: मक्खी , मच्छर , … Continue Reading →
क्या आपके फार्म के चूज़े सांस लेते वक़्त आवाज़ करते हैं?
कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के लिए कभी कभी हमारे किसान भाई छोटे फार्मों में भी बहुतायत में चूजे डाल लेते हैं जिससे की न सिर्फ चूजों को परेशानी होती है बल्कि चूजे मरना शुरू हो जाते हैं I कम जगह में ज़ादा चूजे रखने से सबसे पहली समस्या जो आती है वो है वेंटिलेशन की समस्या जिसका सीधा प्रभाव चूजों के श्वास मार्ग पर पड़ता है I कारणवश, चूजों में मोर्टेलिटी (mortality) शुरू हो जाती है I चूजों का सांस लेते वक़्त आवाज़ करना सांस लेते वक़्त आवाज़ निम्न कारणों की वजह से आती है: एक निर्धारित सीमा से अधिक … Continue Reading →
सूकर और मछली की एकीकृत खेती
क्यों करें सूकर पालन ? पशु मास उत्पादन की दृष्टि से सूकर पालन में कम लागत आती है और ज्यादा मुनाफा कम समय में मिलता है I सूकर के मास में पोषक तत्व भी संतुलित मात्रा में होते हैं I सूकर में आहार को मास में बदलने की अधभुत क्षमता होती है I देशी सूकर तीन से चार किलो आहार लेकर मास में एक किलो की वृद्धि करते हैं जबकि विदेशी नसल के सूकरों में दो से तीन किलो राशन से एक किलो शरीर भर में परिवर्तित करने की क्षमता होती है जो की अन्य जानवरों से अधिक है I सूकर निम्न स्तर के आहार को खाकर भी … Continue Reading →