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ब्याने के बाद पशुओं का बैठ जाना: मिल्क फीवर या दुधारू बुखार

29/09/2019 by Dr. Amandeep Singh Leave a Comment

दुधारू बुखार मुख्य रूप से ब्याने वाली डेयरी गायों का विकार है जो उच्च मात्रा में दूध देती हैं। यह एक चयापचय रोग है जो निम्न रक्त कैल्शियम स्तर (हाइपोकैलसीमिया) के कारण होता है। संकर तथा विदेशी नस्ल की गायों में इस विकार को प्रमुखता से देखा जा सकता है। इस बिमारी में किसानों को नुक्सान मुख्यता पशु के मर जाने से, दूध कम कर जाने से तथा इलाज के खर्चे से होता है।

लक्षण

  • सामान्य मामलों में गायों के सिर और अंगों की मांसपेशियों में कुछ प्रारंभिक उत्तेजना या कंपकंपी दिखाई देती है। फिर वे डगमगाते हैं और बैठ जाते हैं।
  • अक्सर पशुओं की गर्दन में मुड़ जाती है और ऐसा प्रतीत होता है जैसे पशु ने अपना सिर पेट पर पर टिकाया हो।
  • मृत्यु से पहले पशु एक तरफ सपाट लेट जाता है तथा कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाता।
  • इस विकार में पशुओं की थूथन शुष्क हो जाती है, पैर और कान ठंडे पड़ जाते हैं, कब्ज और उनींदापन भी देखा जा सकता है।
  • दिल की धड़कन कमजोर और तेज हो जाती है।
  • शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है (विशेष रूप से ठंडे तथा नमी वाले मौसम में)।

ये संकेत मुख्य रूप से निम्न रक्त कैल्शियम के स्तर के कारण होते हैं। कभी-कभी जटिल कारकों के कारण अतिरिक्त लक्षण देखे जा सकते हैं। लम्बे समय से बैठी हुई गायों में अफारा हो जाता है क्योंकि रूमेन में बनी गैस बाहर आने में असमर्थ हो जाती है।

कारण

  • लगभग 80% मामले ब्याने के एक दिन के भीतर होते हैं क्योंकि दूध और कोलोस्ट्रम उत्पादन रक्त से कैल्शियम (और अन्य पदार्थ) निकालते हैं, और कुछ गाय कैल्शियम को जल्दी हड्डियों से रक्त में लाने के लिए असमर्थ होती हैं।
  • उच्च उत्पादन वाली गायें अधिक संवेदनशील होती हैं क्योंकि उनके रक्त में कैल्शियम का स्तर अधिक होता है। कुछ नस्लें (उदाहरण के लिए, जर्सी) दूसरों की तुलना में अधिक अतिसंवेदनशील होती हैं।
  • आयु अति महत्वपूर्ण है। बूढ़ी गायों में पांचवें या छठी बार ब्याने तक संवेदनशीलता बढ़ जाती है क्योंकि वे अधिक दूध का उत्पादन करते हैं और रक्त कैल्शियम को जल्दी से बदलने में सक्षम नहीं होते।
  • जब आहार में कैल्शियम की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है, तो आंत से कैल्शियम को अवशोषित करने की क्षमता और कंकाल से कैल्शियम को स्थानांतरित करने की दक्षता दोनों बहुत कम हो जाती हैं और दूध के बुखार की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
  • कुछ गायों में ब्याने से पहले या बाद में कई दिनों तक दुधारू बुखार मिलता है। यह आमतौर पर फ़ीड के कारण होता है, विशेष रूप से आहार में जब कैल्शियम गर्भ में तेजी से बढ़ते भ्रूण या दूध उत्पादन के कारण भारी मांग को पूरा करने में अपर्याप्त हो।
  • ब्याने के कुछ दिनों से लेकर गायों को जितना संभव हो उतना कैल्शियम तथा फलीदार चारा देना चाहिए जो घास टेटनी के साथ-साथ दुधारू बुखार को रोकने में मदद करेंगे।

उपचार

  • कैल्शियम बोरोग्लुकोनेट (40%) 300 से 600 मिलीलीटर रक्त नासिका द्वारा दिया जाना चाहिए। सामान्य बैठे हुए पशुओं में इंजेक्शन रक्त नासिका द्वारा देने चाहिए। जबकि कोमा में गए हुए पशुओं में अतिरिक्त जगहों जैसे की गर्दन पर या कंधे के पीछे की त्वचा के नीचे कई स्थानों पर देना चाहिए।
  • संयुक्त मिश्रणों में मैग्नीशियम, फास्फोरस और डेक्सट्रोज (ऊर्जा के लिए) जैसे अतिरिक्त तत्व होते हैं, जो दुधारू बुखार के दौरान रक्त में निम्न स्तर पर चले जाते हैं।
  • कैल्शियम बोरोग्लुकोनेट इंजेक्शन बाज़ार में कैल्शियम बोरोग्लुकोनेट, माईफेक्स, मिफोकाल, इत्यादि के नाम से उपलब्ध हैं।
  • टॉनिक तौर पर पशुओं को विटामिन के इंजेक्शन भी देने चाहिए।
  • कैल्शियम का इंजेक्शन पशुचिकित्सक द्वारा धीरे धीरे रक्त नासिका में देना चाहिए।
  • जिन गायों में अफारा हो गया हो उनको अफारे से राहत दिलायें।
  • अधिकांश समय बैठने वाले पशुओं में पेट से पानी फेफड़ों में जाने का डर रहता है, इसलिए पशुओं की नाक को ध्यान से देखें और यदि पेट से निकला हुआ पानी दिखे तो एंटीबायोटिक की डोस बढ़ा दें ताकि पशु निमोनीए से बच जाएं।
  • जो पशु बीमारी से स्वस्थ हो जाएँ, उनका 24 घंटों के लिए दूध न निकालें और गत दिनों में धीरे धीरे दूध निकालना बढ़ायें।
  • दवाई के साथ साथ पशु की टांगों की मसाज करें तथा पशु के नीचे रेत या भूसा बिछा दें या बिस्तर नरम कर दें।
  • पशु को अधिक देर तक एक तरफ न बैठने दें तथा हर 12 घंटों बाद पशु को दूसरी तरफ लेटा दें।

रोकथाम

  • आहार प्रबंधन दुधारू बुखार को रोकने में मूल्यवान है। दूध देने वाली गायों को कम कैल्शियम आहार पर रखा जाना चाहिए। यह हड्डियों से कैल्शियम को रक्त में लाकर कैल्शियम के स्तर को सामान्य रखने की नियमित प्रणाली को उत्तेजित करता है।
  • गर्भावस्था के अंतिम चरण में या ब्याने के समय जब कैल्शियम की मांग बढ़ जाती है, तो कैल्शियम को फ़ीड की तुलना में हड्डी से बहुत अधिक तेजी से जुटाया जा सकता है, इससे दुधारू बुखार को रोका जा सकता है।
  • जिन गायों के दूध में अधिक वसा होती है (जैसे की जर्सी) या बूढ़ी गायों के आहार में ब्याने से एक से दो हफ्ते पहले फलीदार एवं हरी घास कम कर दें तथा सूखा चारा अधिक दें।
  • ब्याने से 2 से 8 दिन पहले विटामिन डी3 का इंजेक्शन उपयोगी सिद्ध होता है।
  • ब्याने से कुछ दिन पूर्व लघु मात्राओं में अनाज तथा चोकर देने से बीमारी को कम करने में सहायता मिलती है। ब्याने से एक दिन पहले से लेकर एक हफ्ते तक खनिज मिश्रण देने से दुधारू बुखार की रोकथाम की जा सकती है।

 

 

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Filed Under: Resources For Farmers, Resources in Hindi Tagged With: cattle, milk fever

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