Vet Extension

Prosperous Livestock, Prosperous Nation

  • About
  • Contact Us
  • Ask A Question
  • Home
  • Resources For Farmers
    • Resources in English
    • Resources in Hindi
    • Resources in Punjabi
    • Resources in Urdu
  • Resources For Veterinarians
  • Recent Trends
  • Success Stories
  • Guest Posts
  • Mock Tests

दुधारू पशुओं के बाहरी परजीवी तथा उनकी रोकथाम

12/08/2017 by Dr. Amandeep Singh Leave a Comment

गाय पर वास करती किलनियाँ

पशुओं में पाये जाने वाल बाहृा परजीवी अर्थ – व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बाहृा परजीवी शरीर के बाहर बालों में व त्वचा पर निवास करते हैं तथा बाहर से जानवरों को क्षति पहुँचाते हैं। बाहरी परजीवी पशुओं के शरीर पर या तो स्थाई रूप से लगे रहते हैं या समय समय पर पोषण प्राप्त करने हेतु शरीर पर लगते हैं। बाहरी परजीवीयों के नियंत्रण से पशु का वजन बढ़ता है, पशु उत्पादनों में वृद्धि होती है तथा पशु अधिक आकर्षक दिखते हैं।

बाहरी पर्जीवों के उदाहरण: मक्खी , मच्छर , किलनी , जूऐं , पिस्सू एंव माइट्स

कब बढ़ते हैं बाहरी परजीवी ?

वर्षाऋतु , अस्वच्छता , सूर्य का प्रकाश व हवा की कमी होने की दशा में इनका प्रकोप अधिक हो जाता है।

कहाँ पाए जाते हैं बाहरी परजीवी ?

सामान्यता बाहरी परजीवी जानवरों के पेट , कानों की निचली तरफ, पूंछ व योनि तथा जांघ के अंदर की सतह एंव अयन/अंडकोष के चारों तरफ पाये जाते हैं।

बाहरी पर्जीवों के नुकसान

इनके काटने से जावरों की त्वचा शुष्क पड़ जाती हैं, बाल गिरने लगते हैं, रक्त की कमी हो जाती है, वह खाना पीना छोड़ देते हैं एंव उनका उत्पादन घट जाता है।

बचाव

  1. खेतों की जुताई करके।
  2. पाश्चर को जलाकर जिससे उसमें मौजूद किलनी की अवस्था नष्ट हो जाएं।
  3. हाइमेनीपटेरन मक्खी के द्धारा अथवा चींटियों के द्धारा जैविक नियंत्रण करके।
  4. टीकाकरण द्धारा।
  5. कायिक नियंत्रण द्धारा जिसमें बाहरी परिजिवीयों को दूर भगाने वाले रसायन का प्रयोग करते हैं।

उपचार

बाहरी परजीवियों की उपस्थिति , संख्या एंव गंभीरता को ध्यान में रखकर पशुचिकित्सक की सलाह के उपरान्त निन्नलिखित दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है।

1. साइपरमैथ्रिन / डेल्टामैथ्रिन 1-2 मि ली दवा , 1 लीटर पानी में घोलकर नहलायें तथा 5 मि ली दवा 1 लीटर पानी में घोलकर बाड़े में छिड़काव करें।
2. आइवरमेक्टिन / डोरामेक्टिन (इंजेक्शन)

1 मि ली प्रति 50 किग्रा भार पर सुई द्धारा त्वचा के नीचे

(टेबलेट)     

1 टेबलेट प्रति 50 किग्रा भार पर

3. बैटिकाल (पोर – आन) 1 मि ली दवा प्रति 10 किग्रा भार पर सिर से पूंछ तक बूँद बूँद कर रीढ़ की हड़डी पर टपकाना
4. अमिटराज पानी में मिश्रित कर त्वचा पर लगा कर नियंत्रण करते हैं

आयिवेर्मेक्टिन इंजेक्शन – बाहरी परजीवों का पक्का इलाज

उपचार के दौरान सावधानियाँ

  1. जानवरों को दवाई के घोल से नहलाने से पहले पानी पिला लेना चाहिए तथा मुसीका लगा लेना चाहिए।
  2. समूह के सभी जानवरों को एक साथ नहलाना चाहिए।
  3. नहलाने के साथ ही जानवरों के बाड़े में भी स्प्रे करना चाहिए ताकि बाहरी परजीवियों का सम्पूर्ण नियंत्रण हो सके।

 

Courtsey: Blogspot & DUVASU, Mathura.

Filed Under: Resources For Veterinarians, Resources in Hindi

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Hindi English




Recent Posts

  • Backyard Poultry Farming: Source of Livelihood for Rural Farmers
  • Provisional Estimates of Livestock Production for the Year 2020-21
  • List of Important Days and Weeks in Agriculture, Animal Husbandry & Allied Sectors
  • List of cattle and buffalo fairs in India with their place of occurrence, duration and breed
  • Livestock Production Statistics of India – 2020

Categories

Copyright © 2022 · Magazine Pro Theme on Genesis Framework · WordPress · Log in

logo
  • Home
  • Resources For Farmers
    • Resources in English
    • Resources in Hindi
    • Resources in Punjabi
    • Resources in Urdu
  • Resources For Veterinarians
  • Recent Trends
  • Success Stories
  • Guest Posts
  • Mock Tests