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सूकर और मछली की एकीकृत खेती

04/08/2017 by Dr. Amandeep Singh Leave a Comment

क्यों करें सूकर पालन ?

  • पशु मास उत्पादन की दृष्टि से सूकर पालन में कम लागत आती है और ज्यादा मुनाफा कम समय में मिलता है I
  • सूकर के मास में पोषक तत्व भी संतुलित मात्रा में होते हैं I
  • सूकर में आहार को मास में बदलने की अधभुत क्षमता होती है I
  • देशी सूकर तीन से चार किलो आहार लेकर मास में एक किलो की वृद्धि करते हैं जबकि विदेशी नसल के सूकरों में दो से तीन किलो राशन से एक किलो शरीर भर में परिवर्तित करने की क्षमता होती है जो की अन्य जानवरों से अधिक है I
  • सूकर निम्न स्तर के आहार को खाकर भी अच्छा मास उत्पन्न करता है, कुछ ऐसे व्यंजन जो मनुष्य नहीं खा सकता या किसी प्रकार से खराब हो जाते हैं सूकर उन्हें बड़े चाव से खाकर मनुष्य को उच्च मात्रा की प्रोटीन प्रदान करता है I

मछली और सूकर की एकीकृत खेती

  • सूकर तथा मछली पालन में सूकरों को मछली तालाब के साथ रखा जाता I
  • सूकरों को बांस के बनाये हुए निम्न स्तर के घरों में रख कर उनका अच्छे से पालन किया जा सकता है I
  • संपूर्ण प्रक्रिया में ये ध्यान देने योग्य बात है के सूकर और मछली पालन के लाभ के साथ साथ मछली द्वारा मच्छरों के लार्वे को खाने से मच्छरों के प्रकोप से भी बचा जा सकता है I
  • ये किसान भाइयों के लिए बड़े फायेदे की बात है के सूकरों के मल को यदि मछली के तालाब में धो दिया जाए तो इससे मछलियों को दिनभर में देने वाले आहार की ज़रूरत नहीं रहती I अत: इससे पशुपालकों को दोहरा लाभ मिलता है I
  • सूकरों का मल मछलियों के लिए आहार का काम करता है जिससे पशुपालकों के पैसे की बचत होती है I

सूकरों की निम्न नसलों को इस खेती के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है:

1 लार्ज वाइट यॉर्कशायर

2 लैंडरेस

3 हैम्पशायर

मछलियों में कतला, रोहू और मृगल को सूकर तथा मछली की एकीकृत खेति में इस्तेमाल कर सकते हैं I

विधि

  • ऊपर दी गयी सूकर की विदेशी नस्लों के 30-40 सूकरों के मल से एक हेक्टेयर मछली तालाब की खाद की आपूर्ति आसानी से हो सकती है I
  • इस प्रक्रिया में सूकरों के बाड़े को मछली तालाब की मुंडेर पर या एक किनारे पर बांस की चटाई द्वारा प्रोजेक्शन निकाल कर पाला जाता है I
  • इस तरह सूकरों का मल सीधे तालाब में जाता है I सूकरों के मल को कम्पोस्ट करके भी तालाब में डाला जा सकता है I
  • सूकर प्रबंधन में कम चीज़ों की आवश्यकता होती है I
  • रसोई से निकला हुआ वेस्ट, फसल अवशेष, आदि को इस्तेमाल कर सूकरों को खिलाया जा सकता है I

सूकरों तथा मछलियों का विपणन

अच्छे से खिलाने पिलाने के बाद सूकर 6 महीने में 60-70 किलो वज़न धारण कर लेते हैं I इस वज़न पर इन्हें बाज़ार में बेचा जा सकता है I इन्हें बेचने पर 2 माह के शावकों को पुनः स्थापित कर सूकर यूनिट को निरंतर बनाया जा सकता है I सूकर और मछली पालन की विधि से बिना किसी सम्पुर्ण आहार से मछलियों का उत्पादन 4-5 टन प्रति हेक्टर प्रति वर्ष लिया जा सकता है I

Picture Courtesy: agropedia.iitk.ac.in

Filed Under: Resources in Hindi

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