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दुधारू पशुओं में लहू मूतना या बबेसिओसिस रोग

25/10/2018 by Dr. Amandeep Singh Leave a Comment

मूत्र का लाल होना

यह एक घातक बीमारी है जिसका प्रसार किलनियों तथा चींचड़ों के द्वारा होता हैं इसलिए इसे टिक फीवर भी कहते हैं। बबेसिया परजीवी की चार प्रमुख प्रजातियाँ होती हैं तथा यह चारों प्रजातियाँ गाय तथा भैंस को प्रभावित करती हैं। इन सभी में से बबेसिया बाइजेमिना प्रमुख प्रजाति है जो भारतीय उप-महाद्वीप के पशुओं में बीमारी का मुख्य कारण है। फास्फोरस की कमी से नई ब्यांत या बयाने के करीब वाले दुधारू पशु में भी लहू मूतना देखा गया है पर उस स्तिथि में पशु में कोई ज्वर नहीं आता। विदेशी और संकर नस्ल के पशु इसके प्रति अति संवेदनशील होते है।

प्रमुख लक्षण

  • तेज बुखार व दुग्ध उत्पादन में गिरावट
  • खून की कमी
  • दुर्बलता तथा भूख की कमी
  • मूत्र का लाल होना
  • पहले दस्त लगना तथा उसके बाद कब्जी होना

कैसे करें निदान?

  • अस्वस्थ पशुओं के रक्त की जाँच करने पर
  • पशु में रोग के लक्षणों के द्वारा
  • क्षेत्र में किलनियों का प्रसार तथा रोग का इतिहास

बबेसिओसिस का प्रसार करने वाली रिपिसिफेलस किलनी

उपचार

निम्नलिखित दवाओं का प्रयोग लहू मूतना के उपचार के लिए किया जाता है
1. डाइमिनेजीन एसीटुरेट (बेरेनिल): 3.5-7 मि.ग्रा. प्रति किलो शारीरिक भार की दर से चमड़ी के नीचे दिया जाता है
2. इमिडोकारब
3. लम्बे समय तक काम करने वाली टेट्रसाइक्लिन एंटिबाॅयोटिक 20 मि.ग्रा. प्रति किलो भार की दर से
यह दवाईयाँ केवल पशु-चिकित्सक द्वारा ही दी जानी चाहिए

रोकथाम तथा नियंत्रण

  • प्रारंभिक चरण में पशु के रोग की पहचान व उचित उपचार
  • रोगी पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग करना
  • किलनियों के नियंत्रण के लिए समय समय पर बाड़े में किलनी-रोधी दवाई का छिड़काव

 

 

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Filed Under: Resources For Farmers, Resources For Veterinarians, Resources in Hindi

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